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पल्ला रे पल्ला पर दादर मोर राजस्थानी गीत अर्थ सहित

और रंग दे रे म्हाने औजू रंग दे  म्हारा सासुजी के दाय कोनी आई रे  नीलगर और रंग दे .... अर्थ- हे नीलगर (रंगने वाले रंगरेेेज) तुम्हारा रंगा हुआ मेरी सासूजी को पसंद (दाय) नहीं आया है, अतः हे नीलगर और रंग दे मेरा यह पुनः (ओजू) रंग दे। अल्ला रे पल्ला पर दादर मोर रंग दे  घूँघट पर बाई सा रो बीरो ये नीलगर और रंग दे। अर्थ- इसके अल्ले पल्ले पर दादुर और मोर पक्षी की चित्रकारी कर दे और घूंघट पर मेरी ननद का भाई (बाईसा रो बीरो) अर्थात मेरे पतिदेव को चित्रित कर दे। इस प्रकार इसे और रंग दे।  और रंग दे रे म्हाने औजू रंग दे  म्हारा सासुजी के दाय कोनी आई रे नीलगर और रंग दे । अर्थ- हे नीलगर, तुम्हारा रंगा हुआ मेरी सासूजी को पसंद नहीं आया है, अतः हे नीलगर और रंग दे मुझे ओजू (पुनः) रंग दे। सुसरो जी रंगाई म्हारे लाल ओढनी  म्हारा सासुजी के दाय कोणी आई रे  नीलगर और रंग दे। अर्थ- ससुर जी ने जो लाल ओढ़नी मंगाई थी वो मेरी सासुजी को पसंद नहीं आई है। अतः नीलगर इसे दुबारा रंग दे। जेठजी रंगाई म्हारे पीलो पोमचो म्हारी जेठानी के दाय कोणी आई रे नीलगर और रंग दे। अर्थ- जेठ जी ने मेरे लिए पीले

राजस्थान के संगीत ग्रंथ

1. संगीत राज - महाराणा कुंभा 2. रसिक प्रिया { गीत गोविन्द पर टीका }- महाराणा कुंभा 3. अनूप संगीत विनोद - बीकानेर के महाराजा अनूप सिंह 4. अनूप संगीत रत्नाकर - पं. भावभट्ट 5. भाव मंजरी - पं. भावभट्ट 6. राग विवेक - पं. भावभट्ट 7. अनूप संगीत विलास - पं. भावभट्ट 8. संगीत अनूपांकुश - पं. भावभट्ट 9. अनूप राग सागर - पं. भावभट्ट 10. राग रत्नाकर - राधाकृष्ण 11. राग कल्पद्रुम - कृष्णानंद व्यास 12. राग मंजरी - पुण्डरीक विट्ठल 13. रागमाला - पुण्डरीक विट्ठल 14. मुरली प्रताप अनूप कुश - पं. भावभट्ट 15. राधा गोविन्द संगीत सार - सवाई प्रताप सिंह 16. श्रृंगारहार - आचार्य ब्रहस्पति