राजस्थानी भाषा की प्रमुख बोलियां - उपबोलियां और भौगोलिक क्षेत्र - कोई भी भाषा कई बोलियों के मिलने से बनती है। किसी भाषा में बोलियों की अधिकता उसकी समृद्धता मानी जाती है। बोलियों की दृष्टि से राजस्थानी अत्यंत समृद्ध और सुदृढ़ भाषा है। राजस्थानी भाषा संपूर्ण राजस्थान प्रांत के निवासियों के साथ - साथ भारत भर में बसे हुए प्रवासी राजस्थानियों द्वारा अपने प्रतिदिन के कार्य - व्यवहार में बोली जाती है। राजस्थानी विश्व की समृद्धतम भाषाओं में सोहलवां स्थान रखती है। इसको बोलने वालों की संख्या दस करोड़ के लगभग है। विद्वान राजस्थानी भाषा की विभिन्न विशेषताओं के कारण देशी - विदेशी इसकी बोलियों , साहित्य और व्याकरण पर महत्त्वपूर्ण शोध करते रहे हैं और अभी तक यह परंपरा बनी हुई है। विद्वानों के शोध और विवेचना से स्पष्ट होता है कि राजस्थानी भाषा में कई बोलियां सम्मिलित है जिनमें बोलने की दृष्टि से अधिक अंतर नहीं मिलता है। भाषा वैज्ञानिक कहते हैं कि बोली
राजस्थान की कला, संस्कृति, इतिहास, भूगोल व समसामयिक तथ्यों के विविध रंगों से युक्त प्रामाणिक एवं मूलभूत जानकारियों की वेब पत्रिका "The web magazine of various colours of authentic and basic information of Rajasthan's Art, Culture, History, Geography and Current affairs